मेरी फ़ितरत है मस्ताना : इश्क में रचा-बसा एक सफर जो आपकी कई मासूम सी यादें ताजा कर सकता है
मनोज ‘मुंतशिर’ का कविता संग्रह ‘मेरी फ़ितरत है मस्ताना’ प्रेम कविताएं पसंद करने वालों के लिए इस साल का एक बेहतरीन तोहफा साबित हो सकता है
इस संग्रह की कविता ‘मैं तुमसे प्यार नहीं करता’ की कुछ पंक्तियां -
मैं तुझसे प्यार नहीं करता / पर कोई ऐसी शाम नहीं जब मैं आवारा सड़कों पर तेरा / इंतज़ार नहीं करता...
बेमक़सद-सा मैं गलियों में मारा-मारा फिरता हूं / जिन रास्तों से वाकिफ़ हूं, वहीं ठोकर खा के गिरता हूं
मुझे कुछ भी ध्यान नहीं रहता कब दिन डूबा कब रात हुई / अभी कल की बात है, घण्टों तक मेरी दीवारों से बात हुई
जो होश ज़रा-सा बाक़ी है लगता है खोने वाला हूं / अफ़वाह उड़ी है यारों में मैं पागल होने वाला हूं
मैं तुझसे प्यार नहीं करता / पर शहर में जिस दिन तू ना हो ये शहर पराया लगता है / मैं बातें करूं फकीरों सी, संसार ये माया लगता है
वो अलमारी कपड़ों वाली लावारिस हो जाती है / ये पहनूं या वो पहनूं ये उलझन भी खो जाती है
मुझे ये भी याद नहीं रहता रंग कौन से मुझको प्यारे हैं / मेरी शौक़ पसन्द मेरी, बिन तेरे सब बंजारे हैं
मैं तुझसे प्यार नहीं करता / पर ऐसा कोई दिन है क्या / जब याद तुझे तेरी बातों को, सौ-सौ बार नहीं करता / मैं तुझसे प्यार नहीं करता!
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Anku bika
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